प्रकाश भारती कुलदीप कुमार देहरादून -उन्होंने कहा कि सबसे पहली बात तो यह है कि यह सीबीआई जांच की संस्तुति नहीं दी गई है सीबीआई जांच की सिफारिश पुष्कर सिंह धामी केंद्र सरकार को भेजेंगे और यह केंद्र सरकार निर्णय देगी कि सीबीआई जांच होनी है या नहीं होनी है। दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड वासी दूध के जले हैं और छाछ भी फूंक फूंक कर पीते हैं।
2017 में बतौर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भी 15 दिन के भीतर NH 74 घोटाले की सीबीआई जांच की बात कही थी परंतु आज 9 साल बाद भी उत्तराखंड उस सीबीआई जांच की बाट जोह रहा है।
गरिमा ने कहा कि राज्य में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और लोक सेवा आयोग ही नहीं भाजपा भी अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है क्योंकि भाजपा की कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क होता है ,तो कब नौ मन तेल होगा और कब राधा नाचेगी यह तो समय बताएगा।
वहीं दूसरी बात इसमें जश्न मनाने जैसा कुछ नहीं है आज यानी मंगलवार 30 तारीख को उत्तराखंड भाजपा ने अपने कार्यालय में मुख्यमंत्री का सीबीआई जांच को हरि झंडी दिखाने पर सम्मान समारोह आयोजित किया था जिसमें मुख्यमंत्री शरीक नहीं हुए, क्यों नहीं हुए यह बीजेपी का अंदरूनी मामला है, परंतु दसौनी ने सवाल किया कि इसमें जश्न मनाने जैसा क्या है।राज्य में हो रही भर्ती परीक्षाओं के लिए या पेपर लीक के लिए सीबीआई जांच कराया जाना इस बात का परिचायक है कि उत्तराखंड में सरकारी तंत्र और परीक्षा तंत्र पूरी तरह से फेल हो चुके हैं औंधे मुंह गिर चुके हैं इसीलिए प्रदेश में 2017 से भाजपा की प्रचंड बहुमत और ट्रिपल इंजन की सरकार होने के बावजूद राज्य में पेपर लीक की बारिश हो रही है। स्नातक स्तरीय यूके ट्रिपल एससी की भर्ती परीक्षा मामले में सीबीआई जांच होना अपने आप में यह बताता है की एक राज्य के रूप में हम कितने असमर्थ और असक्षम हैं जो एक परीक्षा तक पारदर्शिता से नहीं करवा पा रहे हैं? वही पुष्कर सिंह धामी ने बेरोजगार युवाओं के बीच में पहुंचकर न ही हाई कोर्ट की सिटिंग जज की निगरानी की बात कही?ना गणेश मत्तोलिया जो कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष हैं उनकी बर्खास्तगी की बात करी? मर्तोलिया का पद से हटना निष्पक्ष जांच के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि पद पर रहकर वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं। वही मुख्यमंत्री ने एसआईटी जांच और सीबीआई जांच दोनों जांचों की बात करी जिसका कोई औचित्य दिखाई नहीं पड़ता?वही जो परीक्षा जिसका प्रश्न पत्र लीक हुआ उसको निरस्त करने की कोई बात नहीं करी? इम्तिहान की अगली तारीख पर कोई बात नहीं हुई? और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात जो पूरे प्रकरण में हुई की भाजपाइयों ने बेरोजगार युवाओं के 8 दिन के आंदोलन को जो बुरा भला और अनाप शनाप आरोप लगाए , भाजपाइयों के द्वारा युवाओं को कभी सनातन विरोधी कहा गया, देश विरोधी नारे लगाने के लिए कटघरे में खड़ा किया गया ,प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के द्वारा आंदोलन में बैठे हुए लोगों को अनपढ़ गवार कहा गया, अपने फूहड़ दायित्वधारीयों को प्रेस वार्ता करने के लिए उतारा गया कि वह आंदोलन को राज्य विरोधी और कुंद कर सकें।इन सब से मन नहीं भरा तो मुख्यमंत्री धामी ने तो इसे सांप्रदायिक रंग दे दिया “नकल जेहाद” कह डाला। गरिमा ने कहा कि इस सब पर उत्तराखंड बीजेपी इस प्रदेश के युवाओं से माफी कब मांगेगी? गरिमा ने यह भी कहा की भाजपाइयों के द्वारा प्रदेश में यह प्रचार किया जा रहा है कि धामी आंदोलनरत लोगों के बीच में पहुंचने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं जबकि यह सरासर झूठ है, इससे पहले कांग्रेस के मुख्यमंत्री के तौर पर स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी और हरीश रावत भी आंदोलनरत प्रदेशवासियों के बीच में जाकर धरना खुलवा चुके हैं।
गरिमा मेहरा दसौनीमु
ख्य प्रवक्ताउ,त्तराखंड कांग्रेस.